जय श्री राम | ॐ सिया रामाय नमः | जय हनुमान
🕉️ दरबार में सुबह-शाम नि:शुल्क ऑनलाइन सत्संग होता है   |   हर मंगलवार और शनिवार को "संपूर्ण हनुमान भक्ति विधि" का पाठ किया जाता है   |   यहाँ सच्ची भक्ति और साधना का महत्व सिखाया जाता है   |   गुरु सानिध्य में ही ईश्वर प्राप्ति संभव है   |   श्री बजरंग दास जी को साक्षात हनुमान जी के दर्शन हुए 🕉️
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हनुमान जी की आरती

॥ श्री हनुमंत स्तुति ॥

मनोजवं मारुत तुल्यवेगं,
जितेन्द्रियं, बुद्धिमतां वरिष्ठम् ॥
वातात्मजं वानरयुथ मुख्यं,
श्रीरामदुतं शरणम प्रपद्धे ॥

॥ आरती ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥

जाके बल से गिरवर काँपे ।
रोग-दोष जाके निकट न झाँके ॥
अंजनि पुत्र महा बलदाई ।
संतन के प्रभु सदा सहाई ॥
(आरती कीजै हनुमान लला की...)

दे वीरा रघुनाथ पठाए ।
लंका जारि सिया सुधि लाये ॥
लंका सो कोट समुद्र सी खाई ।
जात पवनसुत बार न लाई ॥
(आरती कीजै हनुमान लला की...)

लंका जारि असुर संहारे ।
सियाराम जी के काज सँवारे ॥
लक्ष्मण मुर्छित पड़े सकारे ।
लाये संजिवन प्राण उबारे ॥
(आरती कीजै हनुमान लला की...)

पैठि पताल तोरि जमकारे ।
अहिरावण की भुजा उखारे ॥
बाईं भुजा असुर दल मारे ।
दाहिने भुजा संतजन तारे ॥
(आरती कीजै हनुमान लला की...)

सुर-नर-मुनि जन आरती उतरें ।
जय जय जय हनुमान उचारें ॥
कंचन थार कपूर लौ छाई ।
आरती करत अंजना माई ॥
(आरती कीजै हनुमान लला की...)

जो हनुमानजी की आरती गावे ।
बसहिं बैकुंठ परम पद पावे ॥
लंक विध्वंस किये रघुराई ।
तुलसीदास स्वामी कीर्ति गाई ॥
(आरती कीजै हनुमान लला की...)

आरती कीजै हनुमान लला की ।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥


॥ इति श्री हनुमान आरती समाप्त ॥