जय श्री राम | ॐ सिया रामाय नमः | जय हनुमान
🕉️ दरबार में सुबह-शाम नि:शुल्क ऑनलाइन सत्संग होता है   |   हर मंगलवार और शनिवार को "संपूर्ण हनुमान भक्ति विधि" का पाठ किया जाता है   |   यहाँ सच्ची भक्ति और साधना का महत्व सिखाया जाता है   |   गुरु सानिध्य में ही ईश्वर प्राप्ति संभव है   |   श्री बजरंग दास जी को साक्षात हनुमान जी के दर्शन हुए 🕉️
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दुर्गा आरती

अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली ।
तेरे ही गुण गाये भारती, ओ मैया हम सब उतरें, तेरी आरती ॥

तेरे भक्त जनो पर, भीर पडी है भारी माँ ।
दानव दल पर टूट पडो, माँ करके सिंह सवारी ॥
सौ-सौ सिंहो से बलशाली, है अष्ट भुजाओ वाली ।
दुष्टों को पल में संहारती ॥
(ओ मैया हम सब उतरें, तेरी आरती...)

माँ बेटे का है इस जग मे, बडा ही निर्मल नाता ।
पूत-कपूत सुने है पर न, माता सुनी कुमाता ॥
सब पे करूणा दरसाने वाली, अमृत बरसाने वाली ।
दुखियो के दुखडे निवारती ॥
(ओ मैया हम सब उतरें, तेरी आरती...)

नही मांगते धन और दौलत, न चांदी न सोना माँ ।
हम तो मांगे माँ तेरे मन मे, इक छोटा सा कोना ॥
सबकी बिगडी बनाने वाली, लाज बचाने वाली ।
सतियो के सत को सवांरती ॥
(ओ मैया हम सब उतरें, तेरी आरती...)

चरण शरण मे खडे तुम्हारी, ले पूजा की थाली ।
वरद हस्त सर पर रख दो, माँ सकंट हरने वाली ॥
माँ भर दो भक्ति रस प्याली, अष्ट भुजाओ वाली ।
भक्तो के कारज तू ही सारती ॥
(ओ मैया हम सब उतरें, तेरी आरती...)

अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली ।
तेरे ही गुण गाये भारती, ओ मैया हम सब उतरें, तेरी आरती ॥


॥ इति श्री दुर्गा आरती समाप्त ॥